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Channel: हुंकार
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पीएम अंकल हन्नी सिंह के बिग फैन हैं. है न निखिल ?

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लप्रेक( लघु प्रेम कथा)

निखिल ! हां नीलिमा. एक बात बता,ये अपने पीएम अंकल हमारी तरह ही हनी सिंह के बिग फैन हैं क्या ?

 क्यों क्या हुआ ? नहीं,वैसे ही पूछ रही हूं,मुझे लगा तो. देख न जबसे उसकी एल्बम "इन्टरनेशनल विलेजर" आयी है न, हम जैसी तो डीजे में बाकी किसी बिट्स पर हिलते तक नहीं और इसी बीच बजा दे कोई "प्यार तेनू करदे गबरु" फिर मजाल है कि हमारे पैरों को थिरकने से कोई रोक दे ? मुझे तो लगता है, अंकल ने हनी सिंह से ही एन्सपायर 
होकर ये एफडीआई वाला बीट शुरु किया न..और देख कैसे विपक्षी पार्टी से लेकर देश की जनता वावली हुई जा रही है.

 तुम उनके प्रतिरोध औऱ असहमति को थिरकना कहोगी नीलिमा ? तुम तो मस्ती में थिरकती हो लेकिन जनता मजबूरी और तकलीफ में विरोध कर रही है..

ओह,तूने मेरे कहने का सही से मतलब समझा नहीं. जैसे अपना हनी सिंह कह रहा है कि विलेजर का मतलब सिर्फ होरी महतो,धनिया,झुनिया और गोबर नहीं होता है..अब विलेजर भी ग्लोबल हो रहा है, इन्टरनेशनल हो रहा है..एफडीआइ से हमारे विलेजर्स ऑब्लिक किसान भी ग्लोबल होंगे..महिन्द्रा की ट्रैक्टर पर चढ़कर "न्यू बैलेंस" जूते पहनकर गीयर दबाएंगे. रोट्टी खाने के पहले हाथ धोएंगे तो ट्यूबल के पास टे हेग्यार की घड़ी खोलकर घड़ी रखेंगे. यार आदिदास( तू कालिदास का भाई न समझ लेना इस कंपनी के मालिक को) की महरून टीशर्ट में जब वो खेतों से मूली उखाड़गे तो कितने क्यूट लगेंगे न वो..और फिर प्यूमा की वॉटल ग्रीन टीशर्ट में वॉलमार्ट के एजेंटों से डील करेंगे. 

निखिल,पता है..अपने किसानों को इस तरह देखकर स्साले वॉल मार्टवाले भी टेंशन में आ जाएंगे..और ये तेरे फ्रेंड वैभव, लक्की, विकास सिंह सेल में खरीदी हुई टीशर्ट पहनकर चौड़े हुए फिरते हैं, अपने को राउडी राठौर समझते हैं, सब ऐंवें, टिल्ली-टिल्ली हो जाएंगे उनके सामने. मैं तो अभी से ही एक्साइटेड हूं खेतों में काम करते वक्त आदिदास, वालमार्ट में प्यूमा की टीशर्ट पहने..आह, हमारे यंग फार्मरस कितने कूल दिखेंगे न ? देखना तब नवाजउद्दीन को भी समझ आ जाएगा कि एक अकेला वही बिचली अड़ान से निकला हीरो नहीं है और एक अकेले अनुराग कश्यप का विजन नहीं है, कई और भी खोज सकते हैं नवाज जैसे हीरो..

ओह नीलिमा, तुम कहां की बात कहां जोड़ने लग जाती है. इतनी सीरियस इश्यू को ऐसे डायल्यूट करोगी ? क्या खेती सिर्फ युवा किसान ही करते हैं, कभी जाकर देखा है तुमने कि कितने बुजुर्ग खून लगाते हैं इसके पीछे. कमऑन निखिल, इसमें गलत क्या है ? क्या तुम नहीं चाहते कि हमारे विलेजर्स प्लस फारमर्स भी हमारी तरह ग्लैमरस दिखें,वही सब पहने और खाएं जो हम पहनते-खाते हैं..तुम तो बड़े इक्वलिटी की बात करते हो फिर यहां क्या एक्सक्लूसिव न रहने का खतरा हो रहा है ? बुजुर्ग होते हैं तो वो आदिदास नहीं फैब इंडिया के कुर्ते पहनेंगे पर दिखेंगे तो चटकीले ही. तुझे याद है डीडी पर गुलजार की तहरीरः मुंशी प्रेमचंद आयी थी. अपना होरी,गोबर,रुपा,झुनिया खादी इंडिया के कपड़ों में कैसे झक्कास दिख रहे थे. अगर गुलजार ने उन्हें फैब इंडिया के कपड़े पहनाए होते तो आय एम डैम श्योर कि कोई यकीन भी नहीं करता कि ये प्रेमचंद के गोदान के कैरेक्टर हैं या फिर अनुराग के गैंग्स ऑफ बासेपुर के. हां,इस बात पर तुम अंकल से शिकात कर सकते हो कि ऐसा करके हम मेट्रो के यंगस्टर्स की फैशन और लाइफ स्टाइल एक्सक्लूसिव नहीं रह जाएगी. जब हमारे विलेजर्स वाल मार्ट से डील करेंगे तो क्या सिर्फ उनसे पैसे ही लेगें, उनकी कल्चर और लाइफ स्टाइल भी तो एडॉप्ट करेंगे न.

 निखिल,कितना अजीब और एक्साइटिंग है न सबकुछ इस देश में. अब तक फारमर्स जो दिन-रात तेज धूप और बारिश में फसलें उगाकर न जाने कितने किलोमीटर जाकर इन्हें बेचते आए हैं, अब वो उस धूप से सीधे एसी में होंगे और ये बीबीए,एमबीए के लाखों स्टूडेंटस एसी कमरों में बिजनेस औऱ धंधे के गुर सीखते हैं वो मुरैना,बक्सर और भटिंडा की धूल-धक्कड भरी सफेद दाग की शिकार सड़कों के किनारे कंपनी की छतरी लगाकर वाइ वन गेट वन, टू थाउजेंड की रिचार्ज पर सिम फ्री और पानी साफ करने की मशीन बेचेंगे..जो हो निखिल, वट एटलिस्ट, आइ वना सी द होल सर्कस ऑफ दिस ग्रेट डेमोक्रेसी..

निखिल,तू भी कुछ बोल न..मैं क्या बोलूं ? कुछ भी..

कुछ भी क्यों नीलिमा, बोलूंगा तो तुम फिर कहोगी कि तू ज्ञान देने लग गया, पर तुम्हें नहीं लग रहा कि तुम कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो की लिखी एक-एक लाइन की इतनी बुरी तरह से मजाक उड़ा रही हो जितनी कि हमारे सहीपंथी यानी राइटिस्ट भी नहीं उड़ाते. तुम्हें कभी होश भी होता है कि तुम रौ में क्या-क्या बोल जाती हो ? तुम्हारे लिए ये सब सर्कस है..

निखिल ! मैं जानती थी तू फिर से शुरु हो जाएगा, स्साला तू कभी सार्केजम समझने के लिए तैयार ही नहीं होता यार..तुझे एक-एक सीरियस टोन में ही चाहिए होती है..हद हो गई यार.



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