Quantcast
Channel: हुंकार
Viewing all articles
Browse latest Browse all 135

वो कृष्ण के वंशज बड़े ही ऐंवे टाइप लग रहे थे

$
0
0
देर रात से ही लोग कृष्ण जन्माष्टमी की धुंआधार बधाईयां दे रहे हैं, जिसके आने-होने-मनाने में मेरी कोई भूमिका नहीं है..इसी क्रम में कुछ भाई लोग सड़े-गले चुटकुले भी ठेल दे रहे हैं जिनमें भाव है कि जीवन में लूम्पेन,लंपट,लफुआ,लडबहेर के जो भी तत्व हैं, इनमें शामिल कर दें.

हैरानी होती है कि क्या मीरा के वही कृष्ण रहे होंगे, जो इन चिरकुटों के हो गए हैं या फिर इनलोगों ने हथियाकर उनमें ये सारे भाव या तो समाहित कर दिए हैं या फिर महान आख्यायानों के बीच दबे-पड़े के बीच से खोद निकाला है. कृष्ण( अगर रहे होंगे तो) ऐसे ही थे- फ्लर्ट करनेवाले, परस्त्री गमन करनेवाले, किसी भी हाल में सेक्स करने और टीवी पर आने का मौका नहीं छोड़नेवाले, एक ही साथ कई स्त्रियों को बझाकर रखनेवाले..मुझे नहीं पता.सच में मुझे कुछ भी नहीं पता. मैंने न तो कभी इस कृष्ण की उपासना की, न कभी इसके बहाने रास-रंग की तलाश की. मेरे लिए कृष्ण एक चरित्र है जो अष्टछाप के कवियों से होते हुए धर्मवीर भारती के अंधा-युग तक गमन करता है. जिसे गांधारी की बात लग जाती है और जिसके लिए युयुत्सु के मन में आह है- अंतिम समय में दोनों जर्जर करते हैं, पक्ष चाहे सत्य का हो या असत्य का. 

मेरे लिए कृष्ण किराना दुकान का एक ब्रांड है जो कभी अगरबत्ती पर तो कभी घी और हींग के डिब्बे पर चिपक जाता है. मां की रसोई के दर्जनों डब्बी पर विराजनेवाले कृष्ण आत्ममुग्ध और वर्चस्व पैदा करनेवाला नाम है जिसके कृष्ण होने भर से खाने का स्वाद नहीं,घर का बजट बढ़ जाता है.

 मेरे लिए कृष्ण मेरी सोसाइटी के 17-18 साल की लड़कियों-लड़के के लिए एक बहाना भर है जो पिछले बीस दिनों से मेरे घर के आगे झुंड में जमा हो जाते,हंसी-ठहाके लगाते,कुरकुरे,लेज खाते और कुछ मीटिंग-शिटिंग जैसी करते..हम इस बात से खुश होते कि चलो कुछ तो खुलापन आया है..अच्छा लगता था मर्दाना हंसी के बीच लड़कियों का ठहाके लगाना..डोले-शोले बनाकर चौड़ा होनेवाले लौंड़ों के बीच कॉन्फीडेंट लड़कियों का छिड़कना..इस रहस्यमयी संगम से उस पर्दे का उठ जाना- 
हैलो सर, दिस इज स्मृति, वी ऑर गोइंग टू आर्गेनाइज कृष्णा जन्माष्टमी ऑन टेन्थ ऑफ अग्सट. देयर वुड भी कल्चरल इवेन्टस टिल द वर्थ ऑफ कृष्णा एडं वी विल प्रोवाइट डिनर ऑल्सो...इन पंक्तियों के सुनने के बाद मेरा सवाल करना- हाउ मच आइ हैव हैव टू कन्ट्रीब्यूट ? ऑनली फीफटी सर..और फिर उसी चंचलता के साथ उनका चले जाना..तब लौंडे भुचकुल टाइप से लड़कियों के पीछे खड़े थे और मुझे कृष्ण के ये वंशज डफर और ऐंवे टाइप के लग रहे थे..

बकवास है ये कथा कि गोपियों कृष्ण के आगे-पीछे डोलती थी..औसत शक्ल-सूरत का कृष्ण जरुर पड़ा चेप रहा होगा और पुरुषवादी समाज ने उसे वेवजह सभी कलाओं में निपुण और आराध्य करार दे दिया.

Viewing all articles
Browse latest Browse all 135

Trending Articles